एक छोटा दीया जो घने अंधेरे में भी रोशन करदे...

चाहे कितना भी अंधेरा क्यों ना हों, एक छोटा सा दिया पूरे अंधेरे को खत्म कर, पूरे जहां को रोशन कर देता हैं...
जब कोई मुसीबत में हो और कोई कह दे की, मैं हूं ना, उसके वो शब्द उसमे वो उम्मीद भर देता हैं...
जिंदगी में कभी कोई बहुत खुश होता हैं तो कभी कोई परेशान होता हैं, लेकिन कभी कभी कोई बहुत ज्यादा परेशान हो जाता है, और ऐसे वक्त में कोई दिया बनकर तो कोई "मैं हूं ना" कहकर हौसला बन जाता हैं।
जिंदगी है तो समस्याएं भी होंगे और समस्याएं जब आती है तो हमें बहुत कुछ सिखाती हैं, मुसीबतों से लड़ना और हर परिस्थिति को जीतना, कोई काबिल बन जाता है।
ऐसा ही कुछ इम्तिहान चल रहा है अभी...
लेकिन आज जो हुआ वो उदासी में भी हंसी और मुसीबत में भी हौसला बन गया।
मैं आज सुबह बाइक से ऑफिस जा रहा था तो काफी परेशान था तो कुछ रास्ते में सोच रहा था, हाईवे के कारण बाइक भी तेज गति में था और एक बस भी बिलकुल सामने आ गई, हालांकि सही टाइम पर ब्रेक लगा और अपनो की दुआ काम आ गई।
ऑफिस पहुंचने से थोड़े दुर पहले एक स्कूटी से लड़की अचानक सामने से टर्न करने के लिए हाथ देती है जबकि मेरी बाइक बिलकुल साथ में है, मैं ब्रेक मारते हुए उसे बोला "पागल हो क्या" स्कूटी चलाने वाली लड़की और उसके पीछे बैठी उसकी दोस्त ने एक साथ मुस्कुराते हुए गाना गाने लगी " हम पागल नही है भईया, हमारा दिमाग खराब है" असल में स्कूटी चलाने वाली लड़की मेरी बहुत पुरानी छात्र निकली जो मुझे पहचान गई थी लेकिन हेलमेट की वजह से मैं नही पहचान पाया था। उसका ये अंदाज और उसका मिलना सही में उस वक्त चेहरे पर मुस्कान के साथ साथ सुकून भी देने वाला था।  शाम को मैं क्लास ले रहा था तभी मुझे एक फोन आता है, कॉलर से देख कर पता चलता है की किसी CA का नंबर है। मैने बात किया तो वो अपना परिचय दिए लेकिन पहचान नही पाया, उन्होंने बोला बंटी जी मैं आपसे मिलने आया हु लेकिन आपका पुराना ऑफिस बंद है तो मैंने नए ऑफिस का पता दिया। थोड़ी ही देर में तीन बड़ी बड़ी ब्लैक कार ऑफिस के पास आती है, वो CA और उनके साथ छह और लोग जो उनके असिस्टेंट थे कार से निकलते है । उन्होंने मुझसे पूछा पहचाने या भूल गए, अभी तक मैं पहचान नही पाया था फिर वो अपनी बहु का नाम बताते है वो CA है और मेरी स्टूडेंट रह चुकी है। फिर मैं इन्हें भी पहचान गया की ये मुझसे कुछ दिन क्लास लेने आए थे लेकिन corona pandemic first wave के कारण क्लास बंद होने की वजह से कुछ दिन  ही क्लास ले पाए थे और तब मुझे इनकी शख्सियत के बारे में पता भी नही था की ये कौन है क्या है ?
फिर उन्होंने बोला बंटी जी मैं उस टाइम क्लास लेने के बाद अचानक बंद हो गया तो आपका फीस भी नहीं दे पाया था मैं कब से सोच रहा था की कभी आकर आपसे मिलूं और आपका फीस भी दे दूं लेकिन टाइम के कारण नहीं आ पाया तो आज सोच कर ही निकला था की आपसे जरूर मिलना है। फिर मैंने उनसे बोला की फीस की क्या बात है आप मिलने आए वो ही बहुत अच्छा लगा और ऐसे भी चार या पांच क्लास तो हो पाई थी । फिर भी उन्होंने फीस दी जो मैं नहीं ले रहा था और फीस का कई गुना दिया जो सायद इस वक्त मुझे जरूरत भी थी, और फिर उन्होंने कहा कि मुझे आज मिलकर बहुत अच्छा लगा, आप तरक्की कीजिए और कभी भी मेरी जरूरत लगे तो बिना हिचकिचाहट के बताइएगा " मैं हूं" उनके ये शब्द मेरे लिए बहुत बड़ा हौसला है।
ये मेरे साथ आज जो हुआ मैं आपलोग के साथ बस इसलिए शेयर कर रहा हु क्योंकि कभी भी कितनी भी बड़ी समस्या आए तो एक उम्मीद का दिया जलाए रखना और कभी कोई परेशान दिखे तो " मैं हूं ना" कह कर उसका हौसला बन जाना।

बंटी सूर्यराज

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