छठ - महापर्व, सिर्फ त्यौहार नहीं एक इमोशन है l

त्योहारों का सीजन चल रहा है, अभी हमने कुछ ही दिन पहले दिवाली मनाई, और अब हम चार दिनों का बिहार का सबसे बड़ा त्यौहार छठ पूजा मना रहे, ये त्यौहार सिर्फ चार दिनों का नहीं बल्कि हम बिहार वासियों के लिए पुरे साल का इंतज़ार होता है। ये हमारे लिए सिर्फ त्यौहार नहीं बल्कि एक इमोशन है। ये त्यौहार शुद्धता और आस्था का सिर्फ प्रतिक नहीं बल्कि एक सन्देश लेकर आता है, सूरज की हर रूप की पूजा - ढलते हुए सूर्य की पूजा इस विश्वास के साथ होता है की कल एक नया सूरज जरूर निकलेगा और नया रौशनी, नए सन्देश लाएगा। ये त्यौहार मूल रूप से बिहार का है पर आज ये पुरे विश्व में मनाये जाते है। हम बिहार वासियों के लिए ये बहुत बड़ा सेलिब्रेशन होता है, हम सब काम के सिलसिले में बिहार से बाहर कही भी हो पर इस त्यौहार में हर बिहारी सोचता है की वो अपने इस त्यौहार में अपने घर अपने परिवार के साथ हो तभी तो भले हम किसी और त्यौहार में अपने घर जाये न जाये विदेशो में भी रहने वाले बिहारी छठ पूजा में अपने घर पहुंचना चाहते है। जो लोग नार्मल दिनों में पान गुटखा इधर उधर थूकते चलते है वो भी इन दिनों हर गली, हर चौक - चौराहों को साफ़ करते दिखेंगे। ये शुद्धता का त्यौहार है पुरे पूजा के दौरान पुरे शुद्धता का ध्यान रखते है, चाहे वो व्रत करने वाले हो, आम लोग हो या दुकानदार. हर लोगो के अंदर एक आस्था है ये त्यौहार में। नहाय खाय से शुरू होता ये त्यौहार, पहले दिन लौकी भात प्रसाद में, दूसरे दिन गुड़ की खीर और उसी प्रसाद खाने के बाद दो दिनों का निर्जला व्रत शुरू होता है,अगले दिन संध्या में ढलते सूर्य की अर्घ्य और अंतिम दिन सूर्योदय के अर्घ्य के साथ ये त्यौहार का समापन होता है। बहुत ही कठिन व्रत क्यूंकि लगातार दो दिनों तक सिर्फ इसी त्यौहार में निर्जला व्रत होता है, तभी तो इसे पर्व नहीं महापर्व कहते है। जिन्होंने बिहार के बारे में अपनी एक लिमिटेड सोच बना रखी है ना, वो कभी छठ पूजा में बिहार आकर देखे, पवित्रता, आस्था का संगम ये त्यौहार में खूबसूरती से सज्जा अपना बिहार धरती के किसी भी कोने से ज्यादा खूबसूरत दीखता है, अपना बिहार। तभी तो हम गर्व से कहते है, हाँ हम बिहारी है। छठ पूजा की सुभकामनाय, सूर्य भगवान और छठ मैया की कृपा सभी पर बानी रहे। जय छठी माँ।

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